हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत "अल-अमाली लिल तूसी" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है।
قال امیرالمؤمنین امام علی عليه السلام:
ما أنعَمَ اللّه ُ على عَبدٍ نِعمَةً فَشَكَرَها بِقَلبِهِ إلاّ استَوجَبَ المَزِيدَ فيها، قَبلَ أن يُظهِرَ شُكرَها عَلى لِسانِهِ
अमीरुल मोमिनीन इमाम अली (अ) ने फ़रमाया:
जब अल्लाह तआला अपने बंदे पर कोई एहसान करता है और वह बंदा दिल से उसका शुक्रिया अदा करता है, तो वह अपनी ज़बान से शुक्रिया अदा करने से पहले ही उस एहसान में इज़ाफ़ा पाने का हक़दार हो जाता है।
आमाली तूसी, पेज 580, हदीस 1197
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